लेखनी - जन्माष्टमी पर्व
जन्माष्टमी पर्व
है चारों तरफ, खुशियों की बाहर,
आने वाले हैं वो,
जिनका है सारे जगत को इंतजार,
फिर मची है, गोकुल, मथुरा में धूम,
सारे ब्रजवासी, प्रसन्नता से रहे हैं झूम,
भादो का महीना था, और तिथि अष्टमी,
था नक्षत्र रोहिणी, और थी रात अंधेरी,
कुछ ऐसी परिस्थितियों में,
कारागार के बीच जन्मे थे,
देवों के देव, हमारे प्रिय कृष्ण मुरारी,
जो हैं नटखट ,चंचल और मनमोहन,
सब पर करते, अपने नैनों का सम्मोहन,
जो हैं सारे जगत के प्राण आधार,
जिन्होंने दिया गीता का ज्ञान ,
किया हम पृथ्वीवासियों का उद्धार,
आया है जन्माष्टमी का त्योहार,
फिर से बिखरी है, हर्षोल्लास की फुहार।।
प्रियंका वर्मा
18/8/22
Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Aug-2022 07:55 AM
बहुत बहुत खूबसूरत सृजन
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Pankaj Pandey
19-Aug-2022 07:32 AM
👌👌👌
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shweta soni
19-Aug-2022 06:25 AM
Nice 👍
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